मुग़ल बाद्शाह शाहजहां
मुग़ल बाद्शाह पानी के महत्व को भलि भांति जानते थे। 'आयने अकबरी' में इसका वर्णन है। सरकार में एक अलग विभाग था - 'अब्दर खाना '. यह विभाग पानी की सपूर्ति एवं उसे ठंडा करने काय साथ साथ बर्फ़ कि उपलभ्धी का भी ज़िम्मेदार था. बर्फ़ उस समय जमी हुई अवस्था मैं हिमालय से मंगवाई जाती थी.
आईये 'आयने अकबरी' के इस विवरण को हिंदी मैं पढ़े: 'बादशाह सलामत पानी को जीवन का स्रोत मानते हैं यानि चिरायु का पानी कहते हैं. इस विभाग का दयित्व चुने हुए व्यक्तिओं को दिया जाता है. बाद्शाह सलामत खुद तो कम ही पानी पीते हैं पर इस विभाग पर बहुत ध्यान देते हैं.
राजधानी मैं रहते समय एवं बाहर रहते हुए केवल गंगा जल का सेवन ही करते हैं। कुछ विश्वसनीय लोगों को गंगा के पट पर नियुक्त किया जाता है और वह जल को बर्तनों में सील कर के भजते हैं.
जब मुःखयालय आगरा और फतेहपुर सिकरी में था तो पानी जिल्ला सारून से आता था, किन्तु अब जो बादशाह सलामत पंजाब मैं हैं तो पानी हरिद्वार से लाया जाता है. खाना पकाने के लीये यमुना याँ चेनाब के पानी, यां वर्षा के एकत्रित पानी को थोड़ा सा गंगा जल से मिश्रित कर के प्रयोग में लाया जाता है. बाहर जाने एवं शिकार को जाने काय समय अनुभवकारी पानी चखने वालो को साथ ले जाया जाता है.'
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